What is RTH Full Form? Rajasthan Right To Health Bill क्या है? जानें राइट टू हेल्थ बिल के बारे में सभी जरूरी बातें…

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RTH Full Form Hindi

राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से प्राइवेट अस्पताल और नर्सिंग होम बंद हैं। डॉक्टर हड़ताल पर चल रहे हैं और RTH Bill पर बवाल मचा हुआ है। तो दोस्तों क्या है ये RTH Bill? और इसमें RTH का मतलब (RTH Full Form) क्या है?

नमस्कार दोस्तों the nitin tech.com पर आप सभी का स्वागत है। क्या आप भी इंटरनेट पर RTH के बारे मे (RTH Full Form) ढूंढ रहे है? यदि हाँ तो आज मैं इस आर्टिकल के जरिए आपको RTH ka Full Form kya hai? और RTH Bill (राइट टू हेल्थ बिल) के बारे में डिटेल में बताने जा रहा हूँ। इस पोस्ट को पढ़कर आप RTH Bill kya hai? (RTH Full Form) के बारे में जान सकेंगे।

क्या है ये RTH Bill? (RTH Full Form)

तो दोस्तों आपको बता दें कि RTH Bill में RTH का मतलब है Right To Health (राइट टू हेल्थ) होता है।

RTH Full Form : Right To Health

RTH Full Form in Hindi : राइट टू हेल्थ ( हिंदी में अर्थ : स्वास्थ्य का अधिकार)

RTH Full Form : Right to Health

 

राइट टू हेल्थ विधेयक (RTH Bill) क्या है? What is Right To Health Bill?

Rajasthan Right To Health Bill 

राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से प्राइवेट अस्पताल और नर्सिंग होम बंद हैं। डॉक्टर हड़ताल पर चल रहे हैं और राइट टू हेल्थ विधेयक (RTH Bill) पर बवाल मचा हुआ है। हड़ताली डॉक्टरों की दलील है कि राइट टू हेल्थ बिल (RTH Bill) की क्या जरूरत है?

क्या है Rajasthan Right To Health Bill (RTH Bill)

राइट टू हेल्थ विधेयक - Right To Health Bill

Rajasthan Right To Health Bill के प्रावधानों के मुताबिक राजस्थान के लोग अब बिना किसी पूर्व भुगतान के प्राइवेट अस्पतालों में इमरजेंसी इलाज के हकदार होंगे। RTH Bill के अनुसार अगर रोगी इलाज का खर्चा भुगतान करने में असमर्थ है तो इसकी पूर्ति सरकार द्वारा की जाएगी।

इस “राइट टू हेल्थ बिल” में कहा गया है कि कोई भी स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता केवल पुलिस की मंजूरी या पुलिस रिपोर्ट प्राप्त करने के आधार पर इलाज में देरी नहीं करेगा।

इस “RTH Bill” के बारे में बताया जा रहा है कि चिरंजीवी कार्ड होने के बाद भी कुछ प्राइवेट अस्पताल चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के मरीजों को इलाज मुहैय्या नहीं कराते हैं इसलिए इस विधेयक को लाया गया है।

राजस्थान में लागू इस “राइट टू हेल्थ बिल” के अनुसार अगर कोई मरीज इमरजेंसी की हालत में प्राइवेट हॉस्पिटल आता है तो उस समय मरीज के पास पैसे न होने की सिचुएशन में हॉस्पिटल को मरीज का फ्री में (बिना एडवांस जमा कराए) इलाज करना होगा।

इसके अलावा बाद में भी यदि मरीज के पास इलाज के लिए पैसे नहीं हैं तो भी फ्री इलाज का सारा तो खर्च राज्य सरकार उठाएगी। दूसरे अस्पताल में रेफर होने पर भी सरकार सारा खर्च देगी। जिसके लिए प्राइवेट हॉस्पिटल में इमरजेंसी में फ्री इलाज के लिए अलग से फंड बनेगा।

कोई भी शिकायत मिलने पर जिला और राज्य स्तर पर बनी प्राधिकरण में सुनवाई होगी।

आपको बता दें कि बिल के प्रावधानों को नहीं मानने वाले और दोषी पाए जाने पर 10-25 हजार का जुर्माना लग सकता है। इस फैसले को सिविल कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती है।

इस बिल में राजस्थान के निवासियों को अस्पतालों और क्लीनिक से फ्री मेडिकल सेवा का लाभ मिल जाएगा। बिल के बाद सरकारी और प्राइवेट अस्पताल मरीज के इलाज से अब मना नहीं कर सकेंगे। यानि की हर व्यक्ति को इलाज की गारंटी मिलेगी।

Rajasthan Right To Health Bill (RTH Bill) के फायदे

राइट टू हेल्थ विधेयक / Right To Health Bill

  • सरकारी अस्पतालों के साथ मरीजों को निजी हॉस्पीटल में भी आपातकालीन स्थिति में निशुल्क इलाज मिल सकेगा। यह सुविधा उन्हीं निजी अस्पतालों में मिलेंगी जो 50 बेड से ज्यादा की क्षमता वाले होंगे।
  • बिल के नियमों के तहत आउट पेशेंट्स डिपार्टमेंट (OPD), इनडोर भर्ती पेशेंट्स, डॉक्टर को दिखाना और परामर्श, दवाइयां, डायग्नोसिस, इमरजेंसी ट्रांसपोर्टेशन यानी एम्बुलेंस सुविधा, प्रोसीजर और सर्विसेज, इमरजेंसी ट्रीटमेंट की सभी सुविधाएं मिलेंगी।
  • प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति का हेल्थ इंश्योरेंस सरकार अपने स्तर पर करवाएगी।
  • डॉक्टरों की ओर से दिए जा रहे इलाज की जानकारी मरीज और उसके परिजनों को जब चाहेंगे, तब मिलेगी।
  • आपातकाल की स्थिति में बिना किसी फीस या चार्ज के ही निजी अस्पताल तुरंत इलाज करेंगे। इसमें अगर प्राथमिक उपचार के बाद रैफर करना होगा तो एंबुलेंस भी उपलब्ध कराएंगे।
  • अगर कोई मेडिको-लीगल मामला है, तो हेल्थ केयर प्रोवाइ़डर पुलिस की एनओसी या पुलिस रिपोर्ट मिलने के आधार पर इलाज में देरी नहीं कर सकेंगे।
  • किसी भी तरह की महामारी के दौरान होने वाले रोगों के इलाज भी इस कानून के अंतर्गत शामिल हैं।
  • इलाज के दौरान यदि मरीज की अस्पताल में मौत हो जाती है तो भुगतान के बहाने कोई भी अस्पताल अब डेड बॉडी को अस्पताल में नहीं रोक सकेंगे।
  • किसी मरीज को गंभीर स्थिति में दूसरे हॉस्पीटल में रैफर करने की जिम्मेदारी अस्पताल की होगी।
  • सर्जरी, कीमोथैरेपी की पहले से ही सूचना देकर मरीज या उसके परिजनों से सहमति ली जाएगी।
  • किसी मेल वर्कर की ओर से महिला पेशेंट के फिजिकल टेस्ट के दौरान महिला की उपस्थिति जरूरी होगी।
  • हर तरह की सर्विस और फैसिलिटी की रेट और टैक्स के बारे में सूचना पाने का हक मिलेगा। हालांकि भुगतान चिरंजीवी योजना के तहत सरकार करेगी।
  • निजी अस्पतालों की ओर से मरीज की बीमारी सार्वजनिक नहीं किया जा सकेगा। केवल मरीज और उनके परिजनों को ही जानकारी दी जा सकेगी।
  • रोड एक्सीडेंट्स में फ्री ट्रांसपोर्टेशन, फ्री ट्रीटमेंट और फ्री इंश्योरेंस कवर इस्तेमाल होगा।
  • इस विधेयक के तहत इमरजेंसी में निजी और सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए मरीज को एडवांस पेमेंट से छूट है।
  • अगर मरीज भुगतान नहीं कर पाता है तो खर्च राज्य सरकार उठाएगी। दूसरे अस्पताल में रेफर होने पर भी सरकार सारा खर्च देगी।
  • सरकारी और गैर-सरकारी अस्पताल और डॉक्टर इमरजेंसी वाले मरीजों का मुफ्त इलाज करने से पल्ला नहीं झाड़ सकेंगे। मेडिको-लीगल केस में भी उन्हें बिना पुलिस मंजूरी के तुरंत इलाज करना होगा
  • इमरजेंसी केस के अलावा मरीज अपनी सुविधा और इच्छानुसार लैब और दवा की दुकान चुन सकता है यानी दवा दुकानों, लैब और निजी अस्पतालों के बीच कमिशन का जाल टूटेगा।
  • अस्पताल में भर्ती मरीज अगर किसी बाहरी डॉक्टर से राय लेना चाहता है तो अस्पताल को उसके इलाज के सारे दस्तावेज समय से देने होंगे।
  • किसी भी नियम के उल्लंघन की दशा में 10,000 रुपये का दंड प्रस्तावित है, जो दोबारा तोड़ने पर 25,000 रुपये का होगा।
  • इस बिल में मरीज और उनके परिजनों को लेकर भी कुछ कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं। जिसमे चिकित्सा कर्मियों और डॉक्टरों के साथ मरीज या उनके परिजन दुर्व्यवहार नहीं कर सकेंगे। अप्राकृतिक मृत्यु के मामले में पोस्टमार्टम करने की अनुमति देनी होगी

क्यों हो रहा है इस RTH बिल का विरोध?

डॉक्टरों का आरोप है कि इस RTH बिल के जरिए सरकार अपनी जिम्मेदारियां प्राइवेट डॉक्टरों के कंधे पर डालना चाहती है। इस विधेयक के चलते निजी अस्पतालों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।

इससे उनकी जीविका कमाने का अधिकार छिन जाएगा, तो आम लोगों को 24 घंटे मिलने वाली चिकित्सा सुविधा से वंचित होना पड़ेगा।

हालांकि अभी इस RTH (राइट टू हेल्थ) विधेयक की रूपरेखा अभी तक साफ नहीं है, मसलन- मरीज को इलाज देने के बाद सरकार किस तरीके से उसका भुगतान करेगी?

हड़ताली डॉक्टरों को आपत्ति है कि सरकार जब पहले से ही कई स्वास्थ्य योजनाएं चला रही है तो अलग से राइट टू हेल्थ बिल की क्या जरूरत है।

पहले से मौजूद हैं चिकित्सा क्षेत्र में चार योजनाएं

पहले से मौजूद योजनाएं भी इस पर असमंजस की स्थिति बना रही हैं।

  • राज्य सरकार ने इसी साल के बजट में चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में 10 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा को बढ़ाकर 25 लाख कर दिया। इस योजना में सरकार ने 1 अप्रैल 2022 से 31 दिसंबर 2022 के बीच 1,940 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।
  • दूसरी योजना सरकारी कर्मचारियों, मंत्रियों, पूर्व और वर्तमान विधायकों के लिए है।
  • तीसरी ‘निशुल्क निरोगी राजस्थान योजना’ में सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा, सभी ओपीडी-आईपीडी और रजिस्ट्रेशन की सुविधा है। इसमें मार्च 2022 से दिसंबर 2022 तक 1,072 करोड़ रुपये खर्च हुए।
  • चौथी, निशुल्क टेस्ट योजना में मेडिकल कॉलेजों से संबंधित सरकारी अस्पतालों में 90 टेस्ट मुफ्त में कराने की सुविधा है।

डॉक्टर्स के अनुसार सही तरीके से परिभाषित नहीं ‘इमरजेंसी’ का अर्थ 

डॉक्टर्स के अनुसार राइट टू हेल्थ बिल (RTH Bill) में ‘इमरजेंसी’ शब्द सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। बिल में ऐसा प्रावधान किया गया है कि कोई भी निजी अस्पताल ‘इमरजेंसी’ की स्थिति में किसी भी मरीज के इलाज से इनकार नहीं कर सकता। अगर कोई अस्पताल इलाज के इनकार करते है तो उनके खिलाफ सरकार एक्शन लेगी।

इसमें निजी अस्तपाल के संचालकों और डॉक्टरों का कहना है कि ‘इमरजेंसी’ शब्द को सही तरीके से परिभाषित नहीं किया गया है। ऐसे में निजी अस्पताल के खिलाफ एक्शन की तलवार हमेशा लटकी रहेगी।

इस बात को ऐसे समझिए कि अगर आई हॉस्पिटल में अन्य बीमारी या हादसे से ग्रसित मरीज आ गया तो उसका इलाज कैसे संभव है। इसी तरह महिलाओं की डिलिवरी और गायनी अस्पताल में हार्ट पेशेंट या स्नैक बाइट का मरीज आ गया तो वहां इमरजेंसी की हालत में भी इलाज संभव नहीं है। जिस अस्पताल में गायनोकोलॉजिस्ट है ही नहीं, वहां महिलाओं की डिलिवरी या अन्य इलाज कैसे संभव है।

‘इमरजेंसी’ के साथ ही निजी अस्पतालों का बड़ा विरोध इलाज की गारंटी को लेकर भी है। स्वास्थ्य का अधिकार कानून लागू होने के बाद हर मरीज के इलाज की गारंटी डॉक्टर की हो जाएगी। कोई गंभीर मरीज अस्पताल पहुंचता है और अस्पताल में इलाज संभव नहीं है तो स्वभाविक रूप से मरीज को बड़े अस्पताल में रेफर करना पड़ता है। रेफर के दौरान बड़े अस्पताल पहुंचने से पहले अगर मरीज की मौत हो जाए, इसकी गारंटी कौन लेगा।

निजी अस्पताल के डॉक्टर्स का कहना है कि रेफर करने वाले डॉक्टर कैसे गारंटी ले सकते हैं कि गंभीर अवस्था में मरीज की मृत्यु नहीं होगी। इस प्रावधान के कारण निजी अस्पताल और परिजनों के बीच झगड़े बढेंगे और कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ेंगे।

इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक (और पढ़े) पर क्लिक कर के देख सकते हैं

तो दोस्तों यहां इस आर्टिकल में हमे आपको RTH की फुल फॉर्म (RTH Full Form) : Right to Health Bill (राइट टु हेल्थ विधेयक) के बारे में जानकारी दी है लेकिन दोस्तों इस RTH टर्म के इसके अलावा भी अलग अलग फील्ड के अनुसार कुछ अन्य Full Form होते हैं जिसके बारे में यहां नीचे जानकारी दी गई है

Other RTH Full Form 

RTH Full Form in Finance : Regular Trading Hours

RTH Full Form in Physics : Thermal Resistance

तो दोस्तों उम्मीद है इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको RTH की Full Form के बारे में पता चल गया होगा और उम्मीद करता हूं कि आर्टिकल आपको पसन्द आया होगा। ऑर्टिकल को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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