AFSPA Full Form
नमस्कार दोस्तों the nitin tech.com पर आप सभी का स्वागत है। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि AFSPA कानून क्या है? AFSPA का मतलब क्या है? या फिर AFSPA की फुल फॉर्म (AFSPA Full Form) क्या होता है?
क्या आप भी इंटरनेट पर AFSPA के बारे मे (AFSPA Full Form) ढूंढ रहे है? यदि हाँ तो आज हम इस आर्टिकल के जरिए आपको AFSPA kya hota hai? AFSPA ka Full Form kya hota hai? के बारे में डिटेल में बताएंगे। इस पोस्ट को पढ़कर आप AFSPA kya hai? (AFSPA Full Form) के बारे में जान सकेंगे।
तो दोस्तों सबसे पहले आपको बता दे कि ये AFSPA कानून आखिर होता क्या है? दरअसल AFSPA का फुल फॉर्म होता है Armed Forces Special Powers Act / आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट (हिन्दी में अर्थ : सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम)
AFSPA Full Form : Armed Forces Special Powers Act
AFSPA Full Form in Hindi : आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट (हिन्दी में अर्थ : सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम)
Armed Forces Special Powers Act (AFSPA) एक कानून है जो भारत के कुछ विशेष राज्यों में लागू होता है। इस कानून के माध्यम से सेना को कुछ विशेष अधिकार प्रदान किए जाते हैं, जिसकी सहायता से भारतीय सेना को देश की सुरक्षा उचित ढंग से करने में सहायता प्राप्त होती है।
इस कानून को पहली बार 1942 में ब्रिटिश शासन के समय में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए लागू किया गया था। 1958 में संसद ने AFSPA को पुन: प्रभावी होने की मंजूरी दी।
यह एक प्रकार का भारतीय कानून है जो भारतीय सुरक्षा बलों को विशेष शक्तियां और अधिकार देता है। AFSPA के मुताबिक, सेना को तलाशी (search), गिरफ्तारी (arrest), मुकदमा (prosecution) और मृत्यु-दंड (death penalty) से संबंधित प्रतिबंधों से मुक्ति मिलती है। AFSPA Full Form
इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य अशांत क्षेत्रों में कानून व्यवस्था बनाए रखना है। इसके अलावा इसका उद्देश्य भारतीय सुरक्षा बलों को विशेष शक्तियों के साथ जम्मू और कश्मीर जैसे कुछ असमान और आतंकित क्षेत्रों में आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना है।
इस एक्ट के तहत, सुरक्षा बलों को विशेष शक्तियां दी जाती हैं, जैसे कि विचारात्मक आयोजन, बिना विचार और कुछ खोजक कार्रवाई करने की अनुमति देने के लिए, जो अक्सर नागरिकों के अधिकारों के साथ जुड़े हुए हैं। AFSPA Full Form
AFSPA का प्राथमिकता सम्बंधित क्षेत्र में आपातकालीन स्थितियों को नियंत्रित करना और शांति व्यवस्था को सुरक्षित रखना है। यह कानून सरकार को सेना और पुलिस अधिकारियों को अपराधियों के खिलाफ अधिक सशक्त करता है, जिससे वे अपने कार्य को अच्छी तरह से करने के लिए AFSPA कानून द्वारा दी गई विशेष शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं।
क्या है AFSPA लागू होने का अर्थ : – AFSPA सशस्त्र बलों और अशांत क्षेत्रों में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को, कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने एवं बिना वारंट के किसी भी परिसर की तलाशी लेने और अभियोजन तथा कानूनी मुकदमों से सुरक्षा के साथ निरंकुश अधिकार देता है। AFSPA तब लागू किया जाता है जब उग्रवाद या विद्रोह का कोई मामला होता है और भारत की क्षेत्रीय अखंडता खतरे में होती है। सुरक्षा बल “किसी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं”, जिसने “उचित संदेह” के आधार पर भी “संज्ञेय अपराध किया है” या “करने वाला है”।
AFSPA के प्रमुख विशेषताएँ
AFSPA (Armed Forces Special Powers Act) की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. विशेष शक्तियाँ :
AFSPA सेना और सुरक्षा बलों को आपराधिक अपराधों के खिलाफ कठिन कदम उठाने की अनुमति देता है। इसका मतलब है कि सुरक्षा बलों को बिना नोटिस और अन्य प्राकृतिक न्यायिक प्रक्रिया के गिरफ्तारी करने और जख्मी करने की अनुमति होती है।
2. क्षेत्रीय अल्पसंख्यक समुदायों के साथ विवाद :
AFSPA का इस्तेमाल प्रायः अल्पसंख्यक समुदायों के साथ विवादों के समय किया जाता है, जैसे कि नॉर्थ-ईस्ट इंडिया और कश्मीर में। इसका कारण है कि इन क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की आवश्यकता होती है जब असमंगतता और आर्म्ड ग्रुप्स के आक्रमण होते हैं।
3. मानवाधिकारों का उल्लंघन :
AFSPA के प्रयोग के समय मानवाधिकारों का उल्लंघन की रिपोर्टें आई हैं, जिसके चलते इसका खिलाफ विरोध किया गया है। इसके अंतर्गत हिंसा का प्रयोग और गलत गिरफ्तारी की शिकायतें भी आई हैं।
4. प्रतिस्थापन की आवश्यकता :
कुछ लोग AFSPA के सुझाव देते हैं कि यह कानून सुरक्षा के बजाय समृद्धि और समर्थन की ओर बढ़ने के लिए समय समय पर संशोधन की आवश्यकता है। AFSPA Full Form
Armed Forces Special Powers Act (AFSPA) का इतिहास
सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम यानी AFSPA का इतिहास निम्नलिखित है
सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम यानि AFSPA को पहली बार साल 1958 में एक अध्यादेश के माध्यम से भारतीय संसद मे लाया गया था, और इस क़ानून को सबसे पहले पूर्वोत्तर भारत मे लागू किया गया था। AFSPA Full Form
1958 : AFSPA का पहला प्रारूप भारत के नागालैंड राज्य में लागू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य नागालैंड में नागा समझौता के बाद वहाँ की सुरक्षा बढ़ाना और अपराधिक गतिविधियों को दबाना था।
1972 : AFSPA को जम्मू और कश्मीर में लागू किया गया, जब कश्मीर में आर्म्ड मिलिटेंसी के समय सुरक्षा की आवश्यकता थी।
1983 : AFSPA को पूरे नॉर्थ-ईस्ट इंडिया में लागू किया गया, जब असम, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, और मणिपुर में असमंगतता और आर्म्ड ग्रुप्स के आक्रमण के चलते सुरक्षा तंत्र को बढ़ावा दिया।
नगाओं के विद्रोह से निपटने के लिए यह कानून पहली बार वर्ष 1958 में लागू हुआ था।
अधिनियम को वर्ष 1972 में संशोधित किया गया था और – किसी क्षेत्र को ‘अशांत घोषित करने की शक्तियां राज्यों के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी प्रदान की गई थीं।
त्रिपुरा ने वर्ष 2015 में अधिनियम को निरस्त कर दिया तथा मेघालय 27 वर्षों के लिए AFSPA कानून के अधीन था, जब तक कि इसे 1 अप्रैल, 2018 से केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा निरस्त नहीं कर दिया गया। AFSPA Full Form
AFSPA का उपयोग सुरक्षा बलों को आपराधिक अपराधों के खिलाफ कार्रवाई करने में विशेष शक्तियों की प्राप्ति देता है, लेकिन इसका इस्तेमाल विकल्पनीय है और इसका मिस्यूज करने पर विवाद होता है। AFSPA के कई संशोधन हुए हैं, और यह एक विवादास्पद कानून रहा है जिसके संदर्भ में अनेक विवाद हुए हैं।
कैसे तय करते हैं की किसी क्षेत्र में AFSPA कानून लागू होगा या नहीं
AFSPA के तहत केंद्र सरकार राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर किसी राज्य या क्षेत्र को अशांत घोषित कर वहाँ केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात करती है।
विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषायी, क्षेत्रीय समूहों, जातियों, समुदायों के बीच मतभेद या विवादों के चलते राज्य या केंद्र सरकार किसी क्षेत्र को अशांत घोषित करती है।
AFSPA अधिनियम की धारा 3 राज्य तथा केंद्रशासित प्रदेशों के राज्यपालों को भारत के राजपत्र (गज़ट) पर एक आधिकारिक अधिसूचना जारी करने की शक्ति प्रदान करती है, जिसके पश्चात् केंद्र को असैन्य क्षेत्रों में सशस्त्र बलों को भेजने का अधिकार मिल जाता है।
अशांत क्षेत्र (विशेष न्यायालय) अधिनियम, 1976 के अनुसार, एक बार अशांत घोषित होने पर क्षेत्र में न्यूनतम तीन माह के लिये यथास्थिति बनाए रखनी होगी।
राज्य सरकारें यह सुझाव दे सकती हैं कि इस अधिनियम को लागू किया जाना चाहिये अथवा नहीं, परंतु इस अधिनियम की धारा-3 के तहत उनके सुझाव को संज्ञान में लेने अथवा न लेने की शक्ति राज्यपाल अथवा केंद्र के पास है।
AFSPA कानून से असीमित शक्तियाँ मिल जाती हैं सशस्त्र बलों को
- इस कानून की धारा-4 के अनुसार, सुरक्षा बल का अधिकारी संदेह होने पर किसी भी स्थान की तलाशी ले सकता है और खतरा होने पर उस स्थान को नष्ट करने के आदेश दे सकता है।
- इस कानून के तहत सेना के जवानों को कानून तोड़ने वाले व्यक्ति पर गोली चलाने का भी अधिकार है।
- यदि इस दौरान उस व्यक्ति की मौत भी हो जाती है तो उसकी जवाबदेही गोली चलाने या ऐसा आदेश देने वाले अधिकारी पर नहीं होगी।
- सशस्त्र बल किसी भी व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं।
- गिरफ्तारी के दौरान वे किसी भी तरह की शक्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- सैन्य अधिकारी परिवार के किसी व्यक्ति, संपत्ति, हथियार या गोला-बारूद को बरामद करने के लिये बिना वारंट के घर के अंदर ज कर तलाशी ले सकता है और इसके लिये बल प्रयोग कर सकता है।
- किसी वाहन को रोककर गैर-कानूनी ढंग से हथियार ले जाने का संदेह होने पर उसकी तलाशी ली जा सकती है।
- यदि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो उसको जल्द ही निकटतम पुलिस स्टेशन में पेश करना होता है कि उसको क्यों गिरफ्तार किया गया।
सरकार और सेना AFSPA के समर्थन में
केंद्र सरकार और भारतीय सेना दोनो ही AFSPA वाले क्षेत्रों में सेना की ताकत घटाने के पक्षधर नहीं हैं। इसकी पुष्टि सर्वोच्च न्यायालय में तब हुई थी, जब 8 जुलाई 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने AFSPA के अंतर्गत सुरक्षा बलों को दिये जाने वाले विशेष सुरक्षा अधिकारों को निरस्त कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने जिन क्षेत्रों में AFSPA लागू है वहां अशांति के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा किये जाने वाले एनकाउंटर में होने वाली मौतों के लिये FIR को अनिवार्य कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि सेना और अर्द्धसैनिक बल उन इलाकों में अतिशय बल का इस्तेमाल नहीं कर सकते जहाँ AFSPA लगा हो। AFSPA Full Form
इसके जवाब में सरकार ने तर्क दिया था कि यदि ऐसा हुआ तो अशांति वाले क्षेत्रों में शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखना असंभव हो जाएगा। ऑपरेशन के दौरान सेना द्वारा की गई कार्रवाई को न्यायिक समीक्षा के अंतर्गत नहीं लाया जा सकता। सेना को पूरी ताकत के साथ अशांत क्षेत्रों में कार्रवाई करने की छूट होनी चाहिये।
सेना जब हथियारों से लैस उपद्रवियों का सामना कर रही हो तो उसे अपने ताकत के इस्तेमाल की छूट होनी ही चाहिये। सरकार की तरफ से यह भी तर्क दिया गया कि यदि कोई सैनिक किसी आतंकी के खिलाफ कार्रवाई कर रहा हो और उसे FIR किये जाने का भय बना रहे तो आतंकियों के खिलाफ लड़ाई बहुत मुश्किल हो जाएगी।
सरकार का यह भी तर्क है कि किसी ऑपरेशन के दौरान सेना द्वारा की गई कार्रवाई को न्यायिक समीक्षा के अंतर्गत नहीं लाया जा सकता।
AFSPA के विवाद और सुझाव
AFSPA (Armed Forces Special Powers Act) के प्रयोग के बारे में विवाद और सुझाव निम्नलिखित हैं :
विवाद :
1. मानवाधिकारों के उल्लंघन : समृद्धि और दिन-प्रतिदिन की जिन्दगी के अधिकांश पहलुओं में AFSPA के प्रयोग के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्टें आई हैं, जैसे गलत गिरफ्तारी, और अन्य हिंसा के मामले।
2. सामाजिक और सियासी टेंशन : AFSPA के प्रयोग से समाज में और टेंशन बढ़ गई है, और यह समाज में विभाजन का कारण बन सकता है। यह टेंशन सियासी रूप में भी उभर सकती है, जैसे कश्मीर में हुए विरोधों के समय।
3. सुरक्षा बलों की विफलता : कुछ विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि AFSPA के प्रयोग के बावजूद, आर्म्ड फोर्सेस अपने उद्देश्य में सफल नहीं रहे हैं और विश्वास खो रहे हैं।
सुझाव :
1. संशोधन और सुधार : AFSPA में सुधार की आवश्यकता है ताकि मानवाधिकारों का सम्मान किया जा सके और सुरक्षा बलों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट तरीके से परिभाषित किया जा सके।
2. सामाजिक साझेदारी : सुरक्षा बलों और स्थानीय आवासीयों के बीच सामाजिक साझेदारी को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि समस्याओं का समाधान और विश्वास की नींव रखी जा सके।
3. आवश्यकता के अनुसार प्रयोग : AFSPA का प्रयोग केवल आपराधिक समस्याओं के समय में करना चाहिए और यहाँ तक कि इसका इस्तेमाल सावधानी और संवेदनशीलता से किया जाना चाहिए।
4. विवाद समाधान : समस्याओं का समाधान और विवादों का समाधान शांति संवाद और समाजिक साझेदारी के माध्यम से किया जा सकता है, जिससे स्थानीय आवासीयों का विश्वास बढ़ सकता है।
ये सुझाव AFSPA के प्रयोग के समय उत्पन्न होने वाले चुनौतियों का सामना करने के लिए किए गए हैं और इसके प्रयोग को सामाजिक और सांविदानिक दृष्टि से सुधारने के लिए कार्य करते हैं।
AFSPA के पक्ष और विपक्ष में तर्क
पक्ष : इस कानून के समर्थक कहते हैं कि आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों और राजद्रोह के मामलों में सशस्त्र बल इस कानून द्वारा मिली शक्तियों के कारण प्रभावशाली तरीके से काम कर पाते हैं। इस प्रकार यह कानून देश की एकता और अखंडता की रक्षा में योगदान दे रहा है। AFSPA Full Form
अशांत क्षेत्रों में कानून व्यवस्था एवं शांति बनाए रखने में इस कानून के प्रावधानों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस कानून के माध्यम से मिले अतिरिक्त अधिकारों के कारण सशस्त्र बलों का मनोबल बढ़ा है।
विपक्ष : इसके विरोधी यह तर्क देते हैं कि इस कानून के माध्यम से मिली शक्तियों का सशस्त्र बल दुरुपयोग करते हैं। सशस्त्र बलों को मिली अत्यधिक शक्तियाँ उन्हें असंवेदनशील और गैर-पेशेवर बनाती हैं। उन पर फ़र्ज़ी एनकाउंटर, यौन उत्पीड़न आदि के आरोप भी लगते रहे हैं।
यह कानून मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के साथ नागरिकों के मूल अधिकारों का निलंबन करता है जिससे लोकतंत्र की जड़ें कमजोर होती हैं।
इनके अलावा आलोचक यह तर्क भी देते हैं कि लागू होने के दशकों बाद भी यह अशांत क्षेत्रों में यह कानून व्यवस्था बहाल करने में सफल नहीं हो पाया, अतः इसे हटा देना चाहिये।
AFSPA की समीक्षा के लिये वर्ष 2004 में बनी समिति ने इस कानून को निरस्त करने की अनुशंसा की तथा इसे दमन, घृणा और शोषण का प्रतीक माना। एक तरफ 50 से अधिक वर्षों में यह वांछित लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सका तो दूसरी तरफ इसके द्वारा होने वाले मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं को देखते हुए इसकी समीक्षा की जानी आवश्यक हो गई है।
संयुक्त राष्ट्र दे चुका है AFSPA रद्द करने की सलाह
AFSPA के लागू होने की बहुत आलोचनाएँ भी हुई हैं। मानवाधिकार संगठन इस कानून को ‘बेरहम’ तक बता चुके हैं।
31 मार्च, 2012 को संयुक्त राष्ट्र के न्यायेतर व मनमाने आचरण मामलों के विशेष प्रतिवेदक क्रिस्टोफर हेंस ने भारत से आग्रह किया था कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में AFSPA का कोई स्थान नहीं है इसलिये इसको रद्द कर दिया जाए। यह रिपोर्ट 2013 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पेश की गई थी।
Human Rights वाले भी यह कहते हुए इस कानून की आलोचना करता रहे हैं कि इसमें दुरुपयोग, भेदभाव और दमन की पर्याप्त संभावनाएँ शामिल हैं।
इसे कई बार विवादों का विषय बना है, क्योंकि कुछ लोगों का मानना है कि यह एक्ट व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कमजोर कर सकता है, जबकि दूसरों का मानना है कि यह आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
AFSPA का भविष्य
AFSPA (Armed Forces Special Powers Act) के भविष्य के बारे में कई संभावनाएँ हो सकती हैं:
संशोधन और सुधार : समय-समय पर सरकारें AFSPA में सुधार कर सकती हैं ताकि इसका प्रयोग मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए हो सके। यह सुधार आर्म्ड फोर्सेस को भी अधिक जिम्मेदारीपूर्ण बना सकता है।
समाजिक साझेदारी : सुरक्षा बलों और स्थानीय आवासीयों के बीच सामाजिक साझेदारी को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा सकता है, ताकि समस्याओं का समाधान और सुरक्षा को लेकर विश्वास बढ़ सके।
अल्पसंख्यक समुदायों का ध्यान : अल्पसंख्यक समुदायों के साथ विवादों को न्यायिक और सामाजिक दृष्टि से देखा जा सकता है, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके।
आवश्यकता के आधार पर प्रयोग : AFSPA का प्रयोग केवल आपराधिक समस्याओं के समय में होने की आवश्यकता हो सकती है और इसका प्रयोग सावधानी और संवेदनशीलता से किया जा सकता है।
AFSPA का भविष्य सरकारों, सुरक्षा बलों, और समाज के अंतर्निहित प्रतिस्पर्धाओं पर निर्भर करेगा, लेकिन मानवाधिकारों के साथ युक्तियुक्त और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने के प्रयास हो सकते हैं।
FAQ About AFSPA Full Form
Q. AFSPA का Full Form क्या होता है?
Ans : AFSPA का Full Form है Armed Forces Special Powers Act जिसका हिन्दी में मतलब होता है सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम
AFSPA Full Form : Armed Forces Special Powers Act
AFSPA Meaning in Hindi : सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम
Q. Armed Forces Special Powers Act (AFSPA) क्या है?
Ans : AFSPA एक कानून है जो सेना और सुरक्षा बलों को विशेष शक्तियों के साथ आपराधिक अपराधों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति देता है। इसका मुख्य उद्देश्य सुरक्षा बलों को आपराधिक गतिविधियों को दबाने और नियंत्रित करने में मदद करना है।
Q. AFSPA कानून कब पारित किया गया?
Ans : साल 1958 भारतीय सशस्त्र बलों के लिए AFSPA (सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम) कानून को पारित किया गया था।
Q. AFSPA कानून कहाँ और किस स्थिति में लागू होता है?
Ans : AFSPA कानून का प्रयोग भारत के कुछ राज्यों और क्षेत्रों में होता है, जैसे कि जम्मू और कश्मीर, असम, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, और मणिपुर में, जब वहाँ किसी आपराधिक मामले को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है।
Q. AFSPA कानून के प्रयोग से जुड़े विवाद क्या हैं?
Ans : AFSPA कानून के प्रयोग के समय मानवाधिकारों के उल्लंघन, गलत गिरफ्तारी, और अन्य हिंसा के मामले प्रमुख विवाद के स्रोत हैं।
Q. AFSPA पहली बार कहाँ लगाया गया?
Ans : 1958 में मणिपुर और असम में बढ़ते अलगाववाद और हिंसा के कारण AFSPA को सबसे पहले यहीं लागू किया गया था।
तो दोस्तों ऊपर आर्टिकल में हमने आपको AFSPA Full Form : Armed Forces Special Powers Act (सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम) के बारे में डिटेल में जानकारी दी है।
दोस्तों उम्मीद है कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको AFSPA Full Form के बारे में जानकारी मिल गई होगी और आपको ये आर्टिकल पसन्द आया होगा।
दोस्तों अगर ये जानकारी आपको अच्छा लगी है तो इसे अपने दोस्तो के साथ अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शेयर जरूर कर देना ताकी और लोगों को भी इस बारे में जानकारी मिल सके।
धन्यवाद!
Desclimer :- ऊपर दी गई सारी जानकारी एवम विचार विभिन्न ऑनलाईन स्रोत द्वारा लिए गए है।